Retail Level01-U1-S3-Store and Non-Store Retailing

 

Session 3:

Store and Non-store Retailing (स्टोर और गैर-स्टोर खुदरा बिक्री)

भारत में Retail Stores  के कई प्रारूप प्रचलित हैं. Retailing को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है :-

1. Store Retailing          2. Non-Store Retailing

1. Store Retailing

Store Retailing में Retailer का एक निश्चित जगह पर Store होता है. Store Retailing को आगे दो भागों  में बाँटा जाता है :-

A.    On the basis of ownership :- (स्वामित्व के आधार पर)

 (1.) Independent Retailer (एकल या आज़ाद ) :- यह वह Retailer होता है जिसका अपना Store होता है और वह अपने परिवार के स्दस्यों या कुछ स्थानीय लोगों की सहायता से अपना Store चलता है. इसका ग्राहकों से सीधा संबंध होता है. यह व्यापार की नीतियाँ वस्तुएँ अपने हिसाब से तय करता है. जैसे - लोकल बनिया, पान वाला, किराना स्टोर आदि.

(2.) Chain Retailer (Corporate Retail Chain) :- जब दो या दो से अधिक Store एक ही व्यक्ति या स्वामी के होते हैं तो उसे    Chain Reailer कहते हैं. इन Stores पर एक ही तरह की वस्तुएँ बेची जाती हैं और इनके Advertisement या विगयापन एक    ही तरह के होते हैं. जैसे- Bata, Food World  आदि.

(3.)  Franchising (फ्रेंचाइसिंग) :- (विशेष विक्रय अधिकार) :- Franchising एक  अनुबंध या समझौता (Contractual Agreement)  होता है जो Franchisor (फ्रेंचाईजी देने वाला) और Franchisee (फ्रेंचाईजी लेने वाला) के बीच किया जाता है. इसमे Franchisor (देने वाला) Franchisee (लेने वाले) को  एक स्थापित नाम और एक विशेष प्रारूप (Business format) के तहत व्यापार चलाने की अनुमति देता है और इसके बदले में Compensation (मुआवज़ा, शुल्क) लेता है. जैसे- Mc Donald, Pizza Hut

4. Consumer Cooperatives :- (सहकारी ग्राहक संस्थाएँ) :-ये वे Retail संस्थाएँ होती हैं, जिनका स्वामित्व इनके ग्राहकों के पास होता है. जब Customers अन्य Retail Stores से संतुष्ट नहीं होते तो वे मिलकर अपना एक समूह बनाते हैं तथा Retail Store चलते हैं. जैसे- मुंबई में Apna Bazar, केंद्रीय भंडार, सहकारी भंडार आदि.

 

B. On the Basis of Merchandise offered (वस्तुओं की पेशकश के आधार पर) :-

1. Convenience Store :- ये वे छोटे स्टोर होते हैं जो रिहयशी जगहों (Residential Area)  के नज़दीक होते हैं. ये लंबे समय तक खुले रहते हैं. ये सीमित मात्रा में वस्तुएँ औसत से भी कम मूल्य पर बेचते हैं. यहाँ अंडे, दूध, सब्जियाँ आदि सुविधाजनक वस्तुएँ मिलती हैं. इसमें Customers सामान लेते हैं और जल्दी से बाहर जाते हैं.

2. Supermarket :- ये बड़े Retail store होते हैं जो वस्तुओं की बहुत सारी Variety बेचते हैं. ये Self-service store होते हैं. ये मुख्यत: खाने-पीने, घरेलू समान,और किराने का समान (Grocery Items) कम लाभ पर बेचते हैं. जैसे- Easy day, Reliance Fresh आदि. Supermarket 20000 से 40000 sq. feet area में हो सकते हैं.

3. Hypermarket :-  Hyperrmarket सामान्य Retail Store और Supermarket का मिश्रण होती हैं. ये बहुत बड़े Sore होते हैं और बहुत बड़ी मात्रा में वस्तुएँ उपलब्ध करवाते हैं. Customers को आकर्षित करने के लिए ये अच्छे से Design किए जाते हैं. ये  Self-Service Store होते हैं. ये कम कीमत पर विशेष तरह की वस्तुएँ बेचते हैं जो सामान्यत: बाज़ार में नही मिलती. इन  Stores की Operating Cost (संचालन लागत) कम होती है.

4. Speciality Stores :- (विशेष स्टोर) :- ये वे Store होते हैं जो विशेष प्रकार की वस्तुएँ बेचते हैं या जनसंख्या के एक विशेष वर्ग पर ध्यान देते हैं और High Level Customer Service (Provide) प्रदान करते हैं. ये Durable Products (टिकाऊ वस्तुओं) जैसे- फर्निचर, घरेलू समान, consumer electronics, jewellery आदि वस्तुएँ बेचने के लिए खास तौर पर बनाए गये स्टोर होते हैं

5. Departmental Store:- ये वे Store होते हैं जो Central places(.केंद्रीय स्थान) या Busy Places (व्यस्त जगहों) पर होते हैं. ये बहुत बड़े Store होते हैं और एक ही स्थान पर कई प्रकार की वस्तुएँ और सामान  औसत मूल्य पर उपलब्ध करवाते हैं. इस प्रकार के   Store में कई Department होते हैं और अंदर एक Restaurent भी होता है. इन Stores मे कई Departments में समान रखने के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है. ये Home Delivery की सुविधा भी देते हैं और बहुत अच्छी   Customer Service provide कराते हैं.

6. Catalogue Showroom :- ये वे Store होते हैं जो सामान्यत: Hard goods (ठोस वस्तुएँ)  जैसे -Jewelery, consumer Electronics, House ware आदि में कार्य करते हैं. जब Customer इन Showrooms में जाता है तो वह Catalogue  देखकर वस्तुएँ पसंद करता है और उसका Code no. देखकर  order करता है. Retailer  उन वस्तुओं को Warehouse से लाकर देता है, Customer उन वस्तुओं की जाँच करता है और खरीद  लेता है.

2. Non-Store Retailing

 इस प्रकार की Retailing में ग्राहकों से सीधा संबंध बनाया जाता है. यह दो प्रकार की होती है :-

  a. Direct Personal contact   b .  Direct Response marketing

   a. Direct personal contact (सीधे व्यक्तिगत संपर्क) :- इस प्रकार की Retailing में Customer के घर या कार्यस्थल पर जाकर उससे Personal contact (व्यक्तिगत संपर्क) किया जता है.Cosmetics, jewellery, घरेलू उपकरण आदि की Retailing में Multi level marketing अपनाई जाती है. ये अपने Products का Display और Demo करके Customers को Invite करते हैं और Main Distributor ग्राहकों को ही Commission आधार पर इस कार्य में नियुक्त करते हैं. जैसे- Euroka Forbes, Amway  आदि Direct Selling करने वाली जानी-मानी कंपनियाँ हैं.

   b. Direct Response Marketing :- इस प्रकार की Retailing में Customers को Non Personal Method (गैर व्यक्तिगत तरीके) से वस्तुएँ पेश की जाती हैं. जैसे- Mail, catalogues, phones, television or Internet आदि.

इसमें ग्राहकों से Communication के विभिन्न तरीके शामिल हैं :-

1.Mail Order Retailing :- इस प्रकार की Retailing में केवल विशेष प्रकार की वस्तुएँ ही बेची जाती हैं और इसमें ग्राहकों का Database होना बहुत ज़रूरी है. जैसे Property Dealers Plots  Plot खरीदने या बेचने के लिए Plots के मालिकों को पत्र लिखते हैं. 

2.Television Shopping :- इस प्रकार की Retailing में T.V. पर Product का Advertisement (विगयापन) किया जाता है और वस्तु की पूरी जानकारी, विशेषताएँ, Price, Guarantee आदि के बारे में समझाया जाता है. विभिन्न शहरों के लिए फोन नंबर दिए जाते है, जहाँ से वह वास्तु Order की जा सके. इन वस्तुओं की Delivery ग्राहक के घर पर की जाती है. जैसे- Telebrand programme जो Fitness और Health संबंधी Product T.V. पर offer करते हैं.

3. E-Shopping :- इस प्रकार की Retailing में ग्राहक Websites या Mobile Apps पर Internet के द्वारा अपने घर से ही Shopping करते हैं. यह उन ग्राहकों के लिए सुविधनक होती है जो Store पे नही जाना चाहते और घर बैठे ही वस्तु प्राप्त करना चाहते हैं. इस प्रकार की Shopping में Payment - online या Cash on Delivery की जाती है.

4. Tele-Marketing :- Telemarketing वस्तुओं या सेवाओं के Promotion के लिए Customers से फोन पर किया जाने वाला Communication (संचार) है. इस प्रकार की Retailing में Company के Employees ग्राहकों को उस समय फोन करते हैं जो ग्राहकों के लिए सुविधाजनक हो और Product के बारे में जानकारी देते हैं. अधिकांश Companies ग्राहकों को बात करने के लिए अपना Toll free no. देती हैं. जैसे- South Element System (Hyderabad)  Telemarketing Services Provide करती है.

स्टोर रिटेलिंग और नॉन-स्टोर रिटेलिंग (store retailing and non-store retailing) में क्या अंतर है?

स्टोर रिटेलिंग और नॉन-स्टोर रिटेलिंग (store retailing and  non-store retailing ) में निम्नलिखित अंतर है-

 

स्टोर रिटेलिंग.

.

नॉन-स्टोर रिटेलिंग

1.

वस्तुओं और सेवाओं को एक भौतिक स्थान या स्टोर से बेचा जाता है।

1.

एक भौतिक स्थान या स्टोर के बिना वस्तुओं और सेवाओं को बेचा जाता है।

2.

इसमें वस्तुओं और सेवाओं का वर्गीकरण स्वामित्व (ownership) और बेचीं जाने वाली वस्तुओं (merchandise offered) के आधार पर किया जाता है।

2.

इसमें वस्तुओं और सेवाओं का वर्गीकरण प्रत्यक्ष व्यक्तिगत संपर्क (Direct personal contact) और प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया विपणन (Direct response marketing ) के आधार पर किया जाता है।

3.

यह उपभोक्ता के साथ अप्रत्यक्ष संबंध (indirect relationship) स्थापित किया जाता है।

3.

यह उपभोक्ता के साथ प्रत्यक्ष संबंध (direct relationship) स्थापित किया जाता है।

4.

इसमें ग्राहक सीधे स्टोर में जाते है और अपनी इच्छा के अनुसार वस्तुओं को चुनते है।

4.

इसमें ग्राहक ऐसा नहीं कर सकते इसमें ग्राहक टीवी, मेल, इंटरनेट या फोन के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के बारे में जागरूक होते है।

5.

इसमें रिटेलर वस्तुओं की व्यवस्था करता है।

5.

इसमें ग्राहक कम्पनियो के टोल फ्री नम्बर पर फोन करके वस्तुओं की व्यवस्था करवाते है।

6.

इसमें कई चैनल शामिल होते हैं।

6

इसमें कोई चैनल नहीं होता सीधे ग्राहकों से बातचीत होती है।

7.

इसमें आप वस्तुओं को खरीदने से पहले छूकर या महशुस करके चेक कर सकते है।

 

इसमें ऐसा नहीं कर सकते।

8.

इसमें वस्तुओं की अदला-बदली (exchange) के लिए रिटेलर जिम्मेदार होता है।

 

इसमें वस्तुओं की अदला-बदली (exchange ) के लिए -रिटेलर जिम्मेदार होता है।

 

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A. Fill in the Blanks

1. When a significant number of outlets are operated by a single owner, it is called a Chain retailer or corporate retail chain .( जब किसी एकल स्वामी द्वारा एक महत्वपूर्ण संख्या में आउटलेट संचालित किए जाते हैं, तो इसे चेन रिटेलर या कॉर्पोरेट खुदरा श्रृंखला कहा जाता है)

2. A franchise is a contract between company (franchiser) and the store owner (franchisee).   ( फ्रैंचाइज़ी कंपनी (फ्रेंचाइज़र) और स्टोर के मालिक (फ्रेंचाइजी) के बीच एक अनुबंध है)

3. Hypermarket is a combination of supermarket and general merchandise store.

(हाइपरमार्केट सुपरमार्केट और सामान्य व्यापारिक स्टोर का एक संयोजन है)

4. Supermarkets offers minimum services and operates on cash and carry basis.

(सुपरमार्केट न्यूनतम सेवाएं प्रदान करते हैं और कॅश एंड कैरी के आधार पर काम करते हैं)

5. In a Departmental store, profit or loss is calculated on the entire stock.            (डिपार्टमेंटल स्टोर में, लाभ या हानि की गणना पूरे स्टॉक पर की जाती है)

B. Multiple Choice Questions. (बहुविकल्पी प्रश्न)

1. The independent retailer operates his business with__________________.              (स्वतंत्र रिटेलर अपना व्यवसाय---------------------------के साथ संचालित करता है)

(a) Partners (पार्टनर्स)

(b) Professionals (पेशेवर)

(c) Few locals/ family members (कुछ स्थानीय / परिवार के सदस्य)

(d) None of the above (उपरोक्त में से कोई नहीं)

2. Corporate retail chain is also called __________________.                            (कॉर्पोरेट रिटेल चेन को----------------- भी कहा जाता है)

(a) Franchise (मताधिकार)

(b) Chain retailer (चेन रिटेलर)

(c) Independent retailer (स्वतंत्र रिटेलर)

(d) None of the above (उपरोक्त में से कोई नहीं)

3. Specialty stores have very clearly defined __________________.                            (--------------------------------को स्पेशलिटी स्टोर्स ने बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है)

(a) Producers (निर्माता)                        (c) Target market (लक्ष्य बाजार)

(b) Competitors (प्रतियोगी)                   (d) Both (a) and (b) (दोनों (a) और (b)

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